बस्तर का पहला हेरिटेज ग्राउंड, आदिवासियों की संस्कृति से हो पाएंगे रूबरू, 3 करोड़ की लागत से हो रहा तैयार

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Bastar's first heritage ground, one can come face to face with the culture of tribals, is being prepared at a cost of Rs 3 crore.
Bastar's first heritage ground, one can come face to face with the culture of tribals, is being prepared at a cost of Rs 3 crore.

बस्तर का पहला हेरिटेज ग्राउंड, आदिवासियों की संस्कृति से हो पाएंगे रूबरू, 3 करोड़ की लागत से हो रहा तैयार

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बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि ये बस्तर का पहला हेरिटेज ग्राउंड होगा. यहां की बिल्डिंग्स पहले से ही कई एतिहासिक चीजों को संजोए हुए हैं, इसलिए ऐसी बिल्डिंग से छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे संवारने के लिए विशेष प्लान बनाया गया है.

दशहरा पर्व से पहले निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसलिए इसी सप्ताह इसका टेंडर निकाल दिया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 3 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. प्रशासन के अधिकारियों ने इसका पूरा ले आउट तैयार कर लिया है.

इस प्रोजेक्ट के लिए यहां मौजूद तहसील कार्यालय को शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए शांतिनगर के दंतेश्वरी कॉलेज के सामने वाले परिसर में निर्माण कार्य भी चल रहा है. ऐसा बताया जा रहा है कि यहां तहसील के साथ एसडीएम कार्यालय भी शिफ्ट किया जाएगा.इसके साथ ही तहसील ऑफिस में शहरवासियों को पहला पार्किंग एरिया मिलेगा. करीब 20 हजार स्क्वायर फीट एरिया में पार्किंग भी होगा.

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कलेक्टर ने बताया कि हेरिटेज ग्राउंड में मुख्य रूप से कैफे, सीटिंग एरिया, ओपन एग्जीबिशन एरिया, बोर एरिया, एक्टिविटी ग्राउंड, प्रसाधन एरिया, एग्जीबिशन एरिया, स्टोर एरिया, एडमिन, डॉरमेटरी, गार्डन, कार पार्किंग, बाइक पार्किंग और गार्ड रूम को भी शामिल किया गया है.

इस हेरिटेज ग्राउंड में चारों तरफ बस्तर के आदिवासियों की संस्कृति देखने को मिलेगी.छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर के मोती तालाब पारा में मौजूद तहसील कार्यालय का परिसर अब नए कलेवर में नजर आने वाला है. प्रशासन इसे बस्तर हेरिटेज ग्राउंड के रूप में तैयार करने जा रहा है. इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. जल्द ही इस हेरीटेज के निर्माण के लिए टेंडर निकाला जाएगा.

ये बस्तर का पहला हेरिटेज ग्राउंड होगा जहां एग्जीबिशन ब्लॉक, एडमिन ब्लॉक, स्टोरेज एरिया, कैफेटिरिया, ओपन एग्जीबिशन एरिया के साथ चारों ओर आदिवासी संस्कृति की झलकियां नजर आएंगी. बस्तर के एतिहासिक दशहरा पर्व में बस्तर संभाग भर से देवी-देवता की डोली और छत्र पहुंचते हैं.

उस समय ऐसे देवी- देवताओं की संख्या 600 से भी अधिक होती हैं, लेकिन ठहरने की व्यवस्था ठीक न होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है. इस हेरिटेज ग्राउंड में उनके ठहराने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि यहां पहुंचकर लोग आदिवासियों की संस्कृति से रूबरू हो पाएंगे और उनके बारे में पढ़ और जान पाएंगे.

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