पदस्थ B.Ed डिग्रीधारकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

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No one can be asked to prove citizenship on the basis of doubt: Supreme Court
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पदस्थ B.Ed डिग्रीधारकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

New Delhi

छत्तीसगढ़ में असिस्टेंट टीचर के पद पर पदस्थ B.Ed (बैचलर ऑफ एजुकेशन) डिग्रीधारकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। इसके साथ ही D.El.Ed. डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) अभ्यर्थियों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें B.Ed टीचर्स की नियुक्तियों को निरस्त किया गया है।दअसल, हाईकोर्ट के फैसले का पालन नहीं होने पर डीएलएड कैंडिडेट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेंट करते हुए कहा कि बच्चों की क्वॉलिटी एजुकेशन के साथ भेदभाव न किया जाए।

साथ ही राज्य शासन को निर्देश दिए कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक ही कार्रवाई की जाए। दरअसल, D. El. Ed ((डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन)) प्रशिक्षित कैंडिडेट विकास सिंह, युवराज सिंह सहित बाकी लोगों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। इनमें बताया था कि 4 मई 2023 को सहायक शिक्षकों के तकरीबन 6500 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। 10 जून को परीक्षा हुई थी।

इसमें B.Ed और डीएलएड प्रशिक्षित दोनों अभ्यर्थी शामिल हुए थे। याचिका में बताया गया है कि प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए डीएलएड सिलेबस में स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। जबकि B.Ed सिलेबस में हायर क्लासेस में पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन कर दिया। इसके मुताबिक, सहायक शिक्षक की भर्ती में ग्रेजुएट और B.Ed या डीएलएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया गया है। जबकि, B.Ed प्रशिक्षितों को भर्ती में शामिल करना अवैधानिक है। B.Ed ट्रेनिंग धारकों को प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

 

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