बिलासपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की कहानी को मनगढ़त बताते हुए किया खारिज

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CG NEWS: After the instructions of the High Court, the list of names of men for 370 posts of Platoon Commander is out. mantoraa news chhattisgarhnews
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बिलासपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की कहानी को मनगढ़त बताते हुए किया खारिज

Chhattisgarh News

बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की कहानी को मनगढ़त बताते हुए खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पीड़िता की कहानी कानून में स्वीकार्य योग्य नहीं है। दरअसल, दुष्कर्म पीड़िता ने हाई कोर्ट को अपनी आप-बीती सुनाई। बताया कि कोलकाता जाते वक्त ट्रेन में एक युवक मिला। बातचीत में उसने बताया कि उसकी जान पहचान है,उसकी नौकरी लगवा देगा।

मोबाइल नंबर ले लिया। एक सप्ताह फोन आया। निजी कंपनी में नौकरी लगाने के लिए धरमजयगढ़ बुलाया। कंपनी का साइट दिखाने मोटर साइकिल पर लेकर निकला और जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की कहानी और सुनाई गई घटना को मनगढ़ंत बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। निचली अदालत के फैसले को युवती ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।मामला कोरबा जिले का है। याचिकाकर्ता पीड़िता ने अपनी याचिका में कहा कि वह ब्यूटी पार्लर में काम करती है।

दिसम्बर 2012 में काम के सिलसिले में ट्रेन से कोलकाता जा रही थी। ट्रेन में युवक से पहचान हुई। बातचीत के दौरान नौकरी को लेकर चर्चा हुई। रायगढ़ जिले के एक निजी कंपनी के अधिकारियों से जान पहचान के जरिए नौकरी लगाने की बात कही और अपना मोबाइल नंबर देने के साथ ही मेरा भी नंबर ले लिया।

मोबाइल नंबर के आदान-प्रदान के बाद कभी-कभी हम दोनों की बात हो जाती थी। तीन दिसंबर 2012 को युवक ने काल किया और नौकरी लगाने के लिए धरमजयगढ़ बुलाया। सात दिसंबर को बस से वह धरमजयगढ़ पहुंची। पहुंचने के बाद युवक को काल किया। युवक ने उसे होटल में ठहराया।

दूसरे दिन कंपनी का कार्यालय दिखाने के लिए मोटर साइिकल से ले गया। कंपनी का आफिस के बजाय जंगल ले गया और वहां उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। इस बीच किसी को ना बताने की धमकी दी। वापस बस स्टैंड छोड़कर चला गया।

धरमजयगढ़ थाने में युवक के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की। इस बीच पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल चेकअप कराया। पुलिस ने रायगढ़ कोर्ट में मामला पेश किया। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने शिकायत को झूठा पाते हुए मामला खारिज करते हुए युवक को दाेषमुक्त कर दिया।

निचली अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि शिकायतकर्ता द्वारा बताई गई बातें और गवाहों के बयान अलग-अलग है।

घटना के संबंध में कही गई बातों से मेल नहीं खाता है। कोर्ट ने पीड़िता और गवाहों के बयान में भिन्नता पाए जाने पर आरोपी युवक को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए पीड़िता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज को कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पीड़िता की कहानी कानून में स्वीकार्य योग्य नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में न्यायालय के न्याय दृष्टांतों का भी हवाला दिया है और अपने फैसले का आधार भी इन्हीं न्याय दृष्टांतों को बनाया है।

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