Chhattisgarh Politics : कैबिनेट की बैठक, और विधानसभा उपचुनाव, क्या होंगे फैसले कौन करेगा दावेदारी

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Chhattisgarh Politics: Cabinet meeting, and assembly by-elections, what decisions will be taken and who will stake claim
Chhattisgarh Politics: Cabinet meeting, and assembly by-elections, what decisions will be taken and who will stake claim

Chhattisgarh Politics : कैबिनेट की बैठक, और विधानसभा उपचुनाव, क्या होंगे फैसले कौन करेगा दावेदारी

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विष्णुदेव साय केबिनेट की आज बैठक होगी। बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार सहित कई निर्णय पर चर्चा होगी। शिक्षक भर्ती पर भी मुहर लगने की संभावना है। प्रदेश में शिक्षा विभाग में शिक्षकों के साथ ही पद बड़ी संख्या स्टाफ के पद भी खाली हैं। शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्कूल शिक्षा विभाग संभालते ही अफसरों के साथ पहली बैठक में ही विमर्श प्रारंभ कर दिया था।

वे इससे पहले भी शिक्षा मंत्री रह चुके थे। इस वजह से उन्होंने विभाग की सबसे बड़ी जरूरत को ध्यान में रखते हुए पहले ही चरण में 33 हजार शिक्षकों की भर्ती करने की घोषणा की।

बुधवार को होने वाली केबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिल सकती है। अग्रवाल ने इसके लिए बकायदा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को नोटशीट भी भेजी है। साथ ही इसे उन्होंने वित्त मंत्री ओपी चौधरी को भी मार्क किया है, ताकि शिक्षकों की भर्ती के लिए वित्त विभाग की ओर से तत्काल मंजूरी मिल सके।

अग्रवाल ने सीएम को बताया है कि प्रदेश में 78 हजार पद खाली हैं। इनमें से 33 हजार की घोषणा की गई है। भर्ती की अनुमति की नस्ती वित्त विभाग में लंबित है।

शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया कई चरणों में किया जाना प्रस्तावित है। यदि इन भर्तियों की तत्काल अनुमति दे दी जाती है तो प्रदेश के युवाओं के भीतर नई चेतना एवं विश्वास की भावना जागृत होगी।

भर्ती बजट सीमा के अंदर ही की जाएगी। इससे राज्य पर अतिरिक्त व्यय भार नहीं आएगा। बताते हैं कि बजट में इसके लिए प्राप्त प्रावधान है। अग्रवाल ने यह नोटशीट लोकसभा चुनाव के पहले चलाई थी। उनके मंत्री पद छोडऩे से पहले यदि राज्य में शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती हैं तो यह शिक्षित बेरोजगार और प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए बड़ा अवसर होगा।

इसके पहले भूपेश सरकार ने लगभग 14 हजार शिक्षकों की भर्ती की थी। इनकी नियमित शिक्षकों के रूप में भर्ती की गई थी। जबकि शिक्षकों को एलबी शिक्षक के रूप में नियुक्ति दे दी गई।

उनकी भर्ती निकायों ने नहीं शिक्षा विभाग ने की है। वे अभी दो साल की परीविक्षा अवधि में हैं। समझा जाता है कि इसके बाद वे अपने हक की आवाज उठा सकते हैं।

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राजधानी के दक्षिण विधानसभा सीट पर अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा उपचुनाव हो सकते हैं। इससे पहले ही कांग्रेस और भाजपा में दावेदारों की चर्चा शुरू हो गई है।

भाजपा में कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। वही भाजपा के एक वरिष्ठ नेता मनोज शुक्ला की प्रबल दावेदारी की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेता मनोज शुक्ला इस बार उपचुनाव में बृजमोहन अग्रवाल की जगह ले सकते है क्योंकि मनोज शुक्ला बृजमोहन अग्रवाल का करीबी माने जाते है।

और विगत 40 सालों से मनोज शुक्ला बृजमोहन अग्रवाल के कंधे से कंधा मिलकर चल रहे है जिसकी वजह से इस बार के उपचुनाव में भाजपा मनोज शुक्ल को टिकट देगी और बृजमोहन अग्रवाल के जैसे ही भारी मतों से दक्षिण विधानसभा के नए विधायक के रूप में छग विधानसभा में शामिल हो सकते है। रायपुर दक्षिण सीट भाजपा के एक दो नहीं कई नेता दावेदारी कर रहे हैं।

इनमें सबसे आगे मनोज शुक्ल का नाम है। क्योंकि सुनील सोनी की टिकट काटकर बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा चुनाव लड़ाया गया। इसके कारण रायपुर दक्षिण से इनकी दावेदारी मजबूत है। इसके अलावा रायपुर नगर निगम में सीनियर नेता मनोज शुक्ला हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार के अनुसार 12 निगम मंडलों के अध्यक्ष और निर्देशकों के नाम लॉक किये गए है।

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ये पहली कैबिनेट बैठक के बाद सभी के नामों का खुलासा किया जाएगा।

इन नेताओं के नाम भी रहे सबसे आगे वही भाजपा में जिन प्रमुख नेताओं का नाम दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है, उनमें हाल तक सांसद रहे सुनील सोनी, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, सुभाष तिवारी, संजय श्रीवास्तव, केदार गुप्ता, मीनल चौबे, मृत्युंजय दुबे, रमेश सिंह ठाकुर, मनोज वर्मा, पूर्व विधायक देवजी पटेल, अंजय शुक्ला, श्रीचंद सुंदरानी, ललित जैसिंघ, संजू नारायण सिंह ठाकुर, और अनुराग अग्रवाल भी हैं। रिकार्ड 8 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल अब सांसद बन गए हैं।

बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को रिकार्ड 5 लाख 75 हजार 285 वोटों से हराया था।

बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के साथ ही रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव की कवायद भी शुरू हो गई। बस इंतजार था तो बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे का।

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