मुस्लिम महिलाएं तलाक के बाद अपने पति से मांग सकती हैं गुजारा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
New Delhi / Supreme court
महिलाओं के गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं और तलाक के बाद भी वह पति से इसकी मांग कर सकती हैं। दरअसल, एक व्यक्ति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत में अर्जी दायर की थी।
इस अर्जी को खारिज करते जस्टिस बीवी नागरत्ना एवं जस्टिस ए जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपना फैसला सुनाया।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग, लेकिन एक जैसा फैसला दिया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कुछ पति इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी होती है लेकिन इन होम मेकर्स की पहचान भावनात्मक और अन्य तरीकों से उन पर ही निर्भर होती है.
कोर्ट ने कहा, “एक भारतीय विवाहित महिला को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है. इस तरह के आदेश से सशक्तिकरण का अर्थ है कि उसकी संसाधनों तक पहुंच बनती है.
हमने अपने फैसले में 2019 अधिनियम के तहत ‘अवैध तलाक’ के पहलू को भी जोड़ा है. हम इस प्रमुख निष्कर्ष पर हैं कि सीआरपीसी की धारा-125 सभी महिलाओं (लिव इन समेत अन्य) पर भी लागू होगी, ना कि केवल विवाहित महिला पर.”